तिरुक्कुरळ् Sections Chapter Groups chapters धर्म- कांडअध्याय 001 to 010ईश्वर- स्तुतिवर्षा- महत्वसंन्यासी- महिमाधर्म पर आग्रहअध्याय 011 to 020गार्हस्थ्यसहधर्मिणोसंतान- लाभप्रेम-भावअतिथि- सत्कारमधुर- भाषणकृतज्ञतामध्यस्थतासंयमशोलताआचारशीलतापरदारविरतिक्षमाशीलताअनसूयतानिर्लोंभताअपिशुनतावृथालाप- निषेधपाप- भीरुतालोकोपकारितादानकीर्तिअध्याय 021 to 030. दयालुतामाँस- वर्जनतपमिध्याचारअस्तेयसत्यअक्रोधअहिंसावध- निषेधअनित्यतासंन्यासतत्वज्ञानतृष्णा का उ़न्मूलनअध्याय 031 to 038प्रारब्धअर्थ- कांडअध्याय 039 to 050महीश महिमाशिक्षाअशिक्षाश्रवणबुद्धिमत्तादोष- निवारणसत्संग- लाभकुसंग- वर्जनसुविचारित कार्यकुशलताशक्ति का बोधसमय का बोधस्थान का बोधपरख कर विश्वास करनापरख कर कार्य सौंपनाबंधुओं को अपनानाअविस्मृतिसुशासनक्रूर शासनभयकारी कर्म न करनादया- दृष्टिगुप्तचर- व्यवस्थाउत्साहयुक्तताआलस्यहोनताउद्यमशोलतासंकट में अनाकुलताअध्याय 051 to 060अमात्यवाक्- पटुत्वकर्म- शुद्धिकर्म में दृढ़ताकर्म करने की रीतिदूतराजा से योग्य व्यवहारभावज्ञतसभा- ज्ञानसभा में निर्भीकताअध्याय 061 to 070राष्ट्रदुर्गीअध्याय 071 to 080वित्त- साधन- विधिअध्याय 081 to 090सैन्य- माहात्म्यसैन्य- साहसअध्याय 91 to 100मैत्रीमैत्री की परखचिर- मैत्रीबुरी मैत्रीकपट मैत्रीमूढ़ताअहंम्मन्य मूढ़्ताविभेदशत्रुता- उत्कर्षशत्रु- शक्ति का ज्ञानअन्तवैंरबड़ों का अपचार न करनास्त्री- वश होनावार- वनितामद्य- निषेधजुआऔषधअध्याय 101 to 108कुलोनतामानमहानतासर्वगुणपूर्णताशिष्टाचारनिष्फल धनलज्जा शोलतावंशोत्कर्ष- विधानकृषिदरिद्रतायाचनायाचना- भयनीचताकाम- कांडअध्याय 109 to 120सौंदर्य की पीड़ासंकेत समझनासंयोग का आनन्दसौंदर्य- वर्णनप्रेम- प्रशंसालज्जा- त्याग- कथनप्रवाद जतानाअध्याय 121 to 13विरह- वेदनाविरह- क्षामा को व्यथानेत्रों का आतुरता से क्षयपीलापन- जनित पीड़ाविरह वेदनातिरेकस्मरण में एकान्तता- दःखस्वप्नावस्था का वर्णनसंध्या- दर्शन से व्यथिअत होनाअंगगच्छवि- नाशाहृदय से कथनधैर्य- भंगउनको उत्कंठाइंगित से बोधमिलन- उत्कंठाहृदय से रुठनामानमान की सूक्ष्मतामान का आनन्द