वित्त- साधन- विधि
Verses
धन जो देता है बना, नगण्य को भी गण्य ।
उसे छोड़ कर मनुज को, गण्य वस्तु नहिं अन्य ॥
Tamil Transliteration
Porulal Lavaraip Porulaakach Cheyyum
Porulalladhu Illai Porul.
निर्धन लोगो का सभी, करते हैं अपमान ।
धनवनों का तो सभी, करते हैं सम्मन ॥
Tamil Transliteration
Illaarai Ellaarum Elluvar Selvarai
Ellaarum Seyvar Sirappu.
धनरूपी दीपक अमर, देता हुआ प्रकाश ।
मनचाहा सब देश चल, करता है नम-नाश ॥
Tamil Transliteration
Porulennum Poiyaa Vilakkam Irularukkum
Enniya Theyaththuch Chendru.
पाप-मार्ग को छोड़कर, न्याय रीति को जान ।
अर्जित धन है सुखद औ’, करता धर्म प्रदान ॥
Tamil Transliteration
Araneenum Inpamum Eenum Thiranarindhu
Theedhindri Vandha Porul.
दया और प्रिय भाव से, प्राप्त नहीं जो वित्त ।
जाने दो उस लाभ को, जमे न उसपर चित्त ॥
Tamil Transliteration
Arulotum Anpotum Vaaraap Porulaakkam
Pullaar Purala Vital.
धन जिसका वारिस नहीं, धन चूँगी से प्राप्त ।
विजित शत्रु का भेंट-धन, धन हैं नृप हित आप्त ॥
Tamil Transliteration
Uruporulum Ulku Porulumdhan Onnaarth
Theruporulum Vendhan Porul.
जन्माता है प्रेम जो, दयारूप शिशु सुष्ट ।
पालित हो धन-धाय से, होता है बह पुष्ट ॥
Tamil Transliteration
Arulennum Anpeen Kuzhavi Porulennum
Selvach Cheviliyaal Untu.
निज धन रखते हाथ में, करना कोई कार्य ।
गिरि पर चढ़ गज-समर का, ईक्षण सदृश विचार्य ॥
Tamil Transliteration
Kundreri Yaanaip Por Kantatraal Thankaiththondru
Untaakach Cheyvaan Vinai.
शत्रु-गर्व को चिरने, तेज शास्त्र जो सिद्ध ।
धन से बढ़ कर है नहीं, सो संग्रह कर वित्त ॥
Tamil Transliteration
Seyka Porulaich Cherunar Serukkarukkum
Eqkadhanir Kooriya Thil.
धर्म, काम दोनों सुलभ, मिलते हैं इक साथ ।
न्यायार्जित धन प्रचुर हो, लगता जिसके हाथ ॥
Tamil Transliteration
Onporul Kaazhppa Iyatriyaarkku Enporul
Enai Irantum Orungu.