सहधर्मिणो

Verses

श्लोक #५१
गृहिणी-गुण-गण प्राप्त कर, पुरुष-आय अनुसार ।
जो गृह-व्यय करती वही, सहधर्मिणी सुचार ॥

Tamil Transliteration
Manaikdhakka Maanputaiyal Aakiththar Kontaan
Valaththakkaal Vaazhkkaith Thunai.

Explanations
श्लोक #५२
गुण-गण गृहणी में न हो, गृह्य-कर्म के अर्थ ।
सुसंपन्न तो क्यों न हो, गृह-जीवन है व्यर्थ ॥

Tamil Transliteration
Manaimaatchi Illaalkan Illaayin Vaazhkkai
Enaimaatchith Thaayinum Il.

Explanations
श्लोक #५३
गृहिणी रही सुधर्मिणी, तो क्या रहा अभाव ।
गृहिणी नहीं सुधर्मिणी, किसका नहीं अभाव ॥

Tamil Transliteration
Illadhen Illaval Maanpaanaal Ulladhen
Illaval Maanaak Katai?.

Explanations
श्लोक #५४
स्त्री से बढ़ कर श्रेष्ठ ही, क्या है पाने योग्य ।
यदि हो पातिव्रत्य की, दृढ़ता उसमें योग्य ॥

Tamil Transliteration
Pennin Perundhakka Yaavula Karpennum
Thinmaiun Taakap Perin.

Explanations
श्लोक #५५
पूजे सती न देव को, पूज जगे निज कंत ।
उसके कहने पर ‘बरस’, बरसे मेघ तुरंत ॥

Tamil Transliteration
Theyvam Thozhaaal Kozhunan Thozhudhezhuvaal
Peyyenap Peyyum Mazhai.

Explanations
श्लोक #५६
रक्षा करे सतीत्व की, पोषण करती कांत ।
गृह का यश भी जो रखे, स्त्री है वह अश्रांत ॥

Tamil Transliteration
Tharkaaththuth Tharkontaar Penith Thakaisaandra
Sorkaaththuch Chorvilaal Pen.

Explanations
श्लोक #५७
परकोटा पहरा दिया, इनसे क्या हो रक्ष ।
स्त्री हित पातिव्रत्य ही, होगा उत्तम रक्ष ॥

Tamil Transliteration
Siraikaakkum Kaappevan Seyyum Makalir
Niraikaakkum Kaappe Thalai.

Explanations
श्लोक #५८
यदि पाती है नारियाँ, पति पूजा कर शान ।
तो उनका सुरधाम में, होता है बहुमान ॥

Tamil Transliteration
Petraar Perinperuvar Pentir Perunjirappup
Puththelir Vaazhum Ulaku.

Explanations
श्लोक #५९
जिसकी पत्नी को नहीं, घर के यश का मान ।
नहिं निन्दक के सामने, गति शार्दूल समान ॥

Tamil Transliteration
Pukazhpurindha Illilorkku Illai Ikazhvaarmun
Erupol Peetu Natai.

Explanations
श्लोक #६०
गृह का जयमंगल कहें, गृहिणी की गुण-खान ।
उनका सद्भूषण कहें, पाना सत्सन्तान ॥

Tamil Transliteration
Mangalam Enpa Manaimaatchi Matru Adhan
Nankalam Nanmakkat Peru.

Explanations
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