कर्म- शुद्धि

Verses

श्लोक #६५१
साथी की परिशुद्धता, दे देती है प्रेय ।
कर्मों की परिशुद्धता, देती है सब श्रेय ॥

Tamil Transliteration
Thunainalam Aakkam Tharuum Vinainalam
Ventiya Ellaan Tharum.

Explanations
श्लोक #६५२
सदा त्यागना चाहिये, जो हैं ऐसे कर्म ।
कीर्ति-लाभ के साथ जो, देते हैं नहिं धर्म ॥

Tamil Transliteration
Endrum Oruvudhal Ventum Pukazhotu
Nandri Payavaa Vinai.

Explanations
श्लोक #६५३
‘उन्नति करनी चाहिये’, यों जिनको हो राग ।
निज गौरव को हानिकर, करें कर्म वे त्याग ॥

Tamil Transliteration
Oodhal Ventum Olimaazhkum Seyvinai
Aaadhum Ennu Mavar.

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श्लोक #६५४
यद्यपि संकट-ग्रस्त हों, जिनका निश्चल ज्ञान ।
निंद्य कर्म फिर भी सुधी, नहीं करेंगे जान ॥

Tamil Transliteration
Itukkan Patinum Ilivandha Seyyaar
Natukkatra Kaatchi Yavar.

Explanations
श्लोक #६५५
जिससे पश्चात्ताप हो, करो न ऐसा कार्य ।
अगर किया तो फिर भला, ना कर ऐसा कार्य ॥

Tamil Transliteration
Etrendru Iranguva Seyyarka Seyvaanel
Matranna Seyyaamai Nandru.

Explanations
श्लोक #६५६
जननी को भूखी सही, यद्यपि देखा जाय ।
सज्जन-निन्दित कार्य को, तो भी किया न जाय ॥

Tamil Transliteration
Eendraal Pasikaanpaan Aayinunj Cheyyarka
Saandror Pazhikkum Vinai.

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श्लोक #६५७
दोष वहन कर प्राप्त जो, सज्जन को ऐश्वर्य ।
उससे अति दारिद्रय ही, सहना उसको वर्य ॥

Tamil Transliteration
Pazhimalaindhu Eydhiya Aakkaththin Saandror
Kazhinal Kurave Thalai.

Explanations
श्लोक #६५८
वर्ज किये बिन वर्ज्य सब, जो करता दुष्कर्म ।
कार्य-पूर्ति ही क्यों न हो, पीड़ा दें वे कर्म ॥

Tamil Transliteration
Katindha Katindhoraar Seydhaarkku Avaidhaam
Mutindhaalum Peezhai Tharum.

Explanations
श्लोक #६५९
रुला अन्य को प्राप्त सब, रुला उसे वह जाय ।
खो कर भी सत्संपदा, पीछे फल दे जाय ॥

Tamil Transliteration
Azhak Konta Ellaam Azhappom Izhappinum
Pirpayakkum Narpaa Lavai.

Explanations
श्लोक #६६०
छल से धन को जोड़ कर, रखने की तदबीर ।
कच्चे मिट्टी कलश में, भर रखना ज्यों नीर ॥

Tamil Transliteration
Salaththaal Porulseydhe Maarththal Pasuman
Kalaththulneer Peydhireei Yatru.

Explanations
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