शत्रुता- उत्कर्ष

Verses

श्लोक #८६१
बलवानों से मत भिड़ो, करके उनसे वैर ।
कमज़ोरों की शत्रुता, सदा चाहना ख़ैर ॥

Tamil Transliteration
Valiyaarkku Maaretral Ompuka Ompaa
Meliyaarmel Meka Pakai.

Explanations
श्लोक #८६२
प्रेम रहित निज बल रहित, सबल सहाय न पास ।
कर सकता है किस तरह, शत्रु शक्ति का नाश ॥

Tamil Transliteration
Anpilan Aandra Thunaiyilan Thaandhuvvaan
Enpariyum Edhilaan Thuppu.

Explanations
श्लोक #८६३
अनमिल है कंजूस है, कायर और अजान ।
उसपर जय पाना रहा, रिपु को अति आसान ॥

Tamil Transliteration
Anjum Ariyaan Amaivilan Eekalaan
Thanjam Eliyan Pakaikku.

Explanations
श्लोक #८६४
क्रोधी हो फिर हृदय से, जो दे भेद निकाल ।
उसपर जय सबको सुलभ, सब थल में, सब काल ॥

Tamil Transliteration
Neengaan Vekuli Niraiyilan Egngnaandrum
Yaanganum Yaarkkum Elidhu.

Explanations
श्लोक #८६५
नीतिशास्त्र जो ना पढे, विधिवत् करे न काम ।
दुर्जन निंदा-भय-रहित, रिपु हित है सुख-धाम ॥

Tamil Transliteration
Vazhinokkaan Vaaippana Seyyaan Pazhinokkaan
Panpilan Patraarkku Inidhu.

Explanations
श्लोक #८६६
जो रहता क्रोधान्ध है, कामी भी अत्यन्त ।
है उसका शत्रुत्व तो, वांछनीय सानन्द ॥

Tamil Transliteration
Kaanaach Chinaththaan Kazhiperung Kaamaththaan
Penaamai Penap Patum.

Explanations
श्लोक #८६७
करके कार्यारम्भ जो, करता फिर प्रतिकूल ।
निश्चय उसकी शत्रुता, करना दे भी मूल ॥

Tamil Transliteration
Kotuththum Kolalventum Mandra Atuththirundhu
Maanaadha Seyvaan Pakai.

Explanations
श्लोक #८६८
गुणविहीन रहते हुए, यदि हैं भी बहुदोष ।
तो है वह साथी रहित, रिपु को है संतोष ॥

Tamil Transliteration
Kunanilanaaik Kutram Palavaayin Maatraarkku
Inanilanaam Emaap Putaiththu.

Explanations
श्लोक #८६९
यदि वैरी कायर तथा, नीतिशास्त्र अज्ञात ।
उनसे भिड़ते, उच्च सुख, छोड़ेंगे नहिं साथ ॥

Tamil Transliteration
Seruvaarkkuch Chenikavaa Inpam Arivilaa
Anjum Pakaivarp Perin.

Explanations
श्लोक #८७०
अनपढ़ की कर शत्रुता, लघुता से जय-लाभ ।
पाने में असमर्थ जो, उसे नहीं यश-लाभ ॥

Tamil Transliteration
Kallaan Vekulum Siruporul Egngnaandrum
Ollaanai Ollaa Tholi.

Explanations
🡱