कपट मैत्री

Verses

श्लोक #८२१
अंतरंग मैत्री नहीं, पर केवल बहिरंग ।
अवसर पा वह पीटती, पकड़ निहाई ढ़ंग ।

Tamil Transliteration
Seeritam Kaanin Eridharkup Pattatai
Neraa Nirandhavar Natpu.

Explanations
श्लोक #८२२
बन्धु सदृश पर बन्धु नहिं, उनकी मैत्री-बान ।
है परिवर्तनशील ही, नारी-चित्त समान ॥

Tamil Transliteration
Inampondru Inamallaar Kenmai Makalir
Manampola Veru Patum.

Explanations
श्लोक #८२३
सद्‍ग्रंथों का अध्ययन, यद्यपि किया अनेक ।
शत्रु कभी होंगे नहीं, स्नेह-मना सविवेक ॥

Tamil Transliteration
Palanalla Katrak Kataiththu Mananallar
Aakudhal Maanaark Karidhu.

Explanations
श्लोक #८२४
मुख पर मधुर हँसी सहित, हृदय वैर से पूर ।
ऐसे लोगों से डरो, ये हैं वंचक कूर ॥

Tamil Transliteration
Mukaththin Iniya Nakaaa Akaththinnaa
Vanjarai Anjap Patum.

Explanations
श्लोक #८२५
जिससे मन मिलता नहीं, उसका सुन वच मात्र ।
किसी विषय में मत समझ, उसे भरोसा पात्र ॥

Tamil Transliteration
Manaththin Amaiyaa Thavarai Enaiththondrum
Sollinaal Therarpaatru Andru.

Explanations
श्लोक #८२६
यद्यपि बोलें मित्र सम, हितकर वचन गढ़ंत ।
शत्रु-वचन की व्यर्थता, होती प्रकट तुरंत ॥

Tamil Transliteration
Nattaarpol Nallavai Sollinum Ottaarsol
Ollai Unarap Patum.

Explanations
श्लोक #८२७
सूचक है आपत्ति का, धनुष नमन की बान ।
सो रिपु-वचन-विनम्रता, निज हितकर मत जान ॥

Tamil Transliteration
Solvanakkam Onnaarkan Kollarka Vilvanakkam
Theengu Kuriththamai Yaan.

Explanations
श्लोक #८२८
जुड़े हाथ में शत्रु के, छिप रहता हथियार ।
वैसी ही रिपु की रही, रुदन-अश्रु-जल-धार ॥

Tamil Transliteration
Thozhudhakai Yullum Pataiyotungum Onnaar
Azhudhakan Neerum Anaiththu.

Explanations
श्लोक #८२९
जो अति मैत्री प्रकट कर, मन में करता हास ।
खुश कर मैत्री भाव से, करना उसका नाश ॥

Tamil Transliteration
Mikachcheydhu Thammellu Vaarai Nakachcheydhu
Natpinul Saappullar Paatru.

Explanations
श्लोक #८३०
शत्रु, मित्र जैसा बने, जब आवे यह काल ।
मुख पर मैत्री प्रकट कर, मन से उसे निकाल ॥

Tamil Transliteration
Pakainatpaam Kaalam Varungaal Mukanattu
Akanatpu Oreei Vital.

Explanations
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