कुसंग- वर्जन

Verses

श्लोक #४५१
ओछों से डरना रहा, उत्तम जन की बान ।
गले लगाना बन्धु सम, है ओछों की बान ॥

Tamil Transliteration
451 Sitrinam Anjum Perumai Sirumaidhaan
Sutramaach Choozhndhu Vitum.

Explanations
श्लोक #४५२
मिट्टी गुणानुसार ज्यों, बदले वारि-स्वभाव ।
संगति से त्यों मनुज का, बदले बुद्धि-स्वभाव ॥

Tamil Transliteration
Nilaththiyalpaal Neerdhirin Thatraakum Maandharkku
Inaththiyalpa Thaakum Arivu.

Explanations
श्लोक #४५३
मनोजन्य है मनुज का, प्राकृत इन्द्रियज्ञान ।
ऐसा यह यों नाम तो, संग-जन्य है जान ॥

Tamil Transliteration
Manaththaanaam Maandhark Kunarchchi Inaththaanaam
Innaan Enappatunj Chol.

Explanations
श्लोक #४५४
मनोजन्य सा दीखता, भले बुरे का ज्ञान ।
संग-जन्य रहता मगर, नर का ऐसा ज्ञान ॥

Tamil Transliteration
Manaththu Ladhupolak Kaatti Oruvarku
Inaththula Thaakum Arivu.

Explanations
श्लोक #४५५
मन की होना शुद्धता, तथा कर्म की शुद्धि ।
दोनों का अवलंब है, संगति की परिशुद्धि ॥

Tamil Transliteration
Manandhooimai Seyvinai Thooimai Irantum
Inandhooimai Thoovaa Varum.

Explanations
श्लोक #४५६
पातें सत्सन्तान हैं, जिनका है मन शुद्ध ।
विफल कर्म होता नहीं, जिनका रंग विशुद्ध ॥

Tamil Transliteration
Manandhooyaark Kechchamnan Raakum Inandhooyaarkku
Illainan Raakaa Vinai.

Explanations
श्लोक #४५७
मन की शुद्धि मनुष्य को, देती है ऐश्वर्य ।
सत्संगति तो फिर उसे, देती सब यश वर्य ॥

Tamil Transliteration
Mananalam Mannuyirk Kaakkam Inanalam
Ellaap Pukazhum Tharum.

Explanations
श्लोक #४५८
शुद्ध चित्तवाले स्वतः, रहते साधु महान ।
सत्संगति फिर भी उन्हें, करती शक्ति प्रदान ॥

Tamil Transliteration
Mananalam Nankutaiya Raayinum Saandrorkku
Inanalam Emaap Putaiththu.

Explanations
श्लोक #४५९
चित्त-शुद्धि परलोक का, देती है आनन्द ।
वही शुद्धि सत्संग से होती और बुलन्द ॥

Tamil Transliteration
Mananalaththin Aakum Marumaimar Raqdhum
Inanalaththin Emaap Putaiththu.

Explanations
श्लोक #४६०
साथी कोई है नहीं, साध- संग से उच्च ।
बढ़ कर कुसंग से नहीं, शत्रु हानिकर तुच्छ ॥

Tamil Transliteration
Nallinaththi Noongun Thunaiyillai Theeyinaththin
Allar Patuppadhooum Il.

Explanations
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