सत्संग- लाभ

Verses

श्लोक #४४१
ज्ञानवृद्ध जो बन गये, धर्म-सूक्ष्म को जान ।
मैत्री उनकी, ढ़ंग से, पा लो महत्व जान ॥

Tamil Transliteration
Aranarindhu Mooththa Arivutaiyaar Kenmai
Thiranarindhu Therndhu Kolal.

Explanations
श्लोक #४४२
आगत दुःख निवार कर, भावी दुःख से त्राण ।
करते जो, अपना उन्हें, करके आदर-मान ॥

Tamil Transliteration
Utranoi Neekki Uraaamai Murkaakkum
Petriyaarp Penik Kolal.

Explanations
श्लोक #४४३
दुर्लभ सब में है यही, दुर्लभ भाग्य महान ।
स्वजन बनाना मान से, जो हैं पुरुष महान ॥

Tamil Transliteration
Ariyavatru Lellaam Aridhe Periyaaraip
Penith Thamaraak Kolal.

Explanations
श्लोक #४४४
करना ऐसा आचरण, जिससे पुरुष महान ।
बन जावें आत्मीय जन, उत्तम बल यह जान ॥

Tamil Transliteration
Thammir Periyaar Thamaraa Ozhukudhal
Vanmaiyu Lellaan Thalai.

Explanations
श्लोक #४४५
आँख बना कर सचिव को, ढोता शासन-भार ।
सो नृप चुन ले सचिव को, करके सोच विचार ॥

Tamil Transliteration
Soozhvaarkan Naaka Ozhukalaan Mannavan
Soozhvaaraik Soozhndhu Kolal.

Explanations
श्लोक #४४६
योग्य जनों का बन्धु बन, करता जो व्यवहार ।
उसका कर सकते नहीं, शत्रु लोग अपकार ॥

Tamil Transliteration
Thakkaa Rinaththanaaith Thaanozhuka Vallaanaich
Chetraar Seyakkitandha Thil.

Explanations
श्लोक #४४७
दोष देख कर डाँटने जब हैं मित्र सुयोग्य ।
तब नृप का करने अहित, कौन शत्रु है योग्य ॥

Tamil Transliteration
Itikkun Thunaiyaarai Yaalvarai Yaare
Ketukkun Thakaimai Yavar.

Explanations
श्लोक #४४८
डांट-डपटते मित्र की, रक्षा बिन नरकंत ।
शत्रु बिना भी हानिकर, पा जाता है अंत ॥

Tamil Transliteration
Itippaarai Illaadha Emaraa Mannan
Ketuppaa Rilaanung Ketum.

Explanations
श्लोक #४४९
बिना मूलधन वणिक जन, पावेंगे नहिं लाभ ।
सहचर-आश्रय रहित नृप, करें न स्थिरता लाभ ॥

Tamil Transliteration
Mudhalilaarkku Oodhiya Millai Madhalaiyaanjjch
Aarpilaark Killai Nilai.

Explanations
श्लोक #४५०
बहुत जनों की शत्रुता, करने में जो हानि ।
उससे बढ़ सत्संग को, तजने में है हानि ॥

Tamil Transliteration
Pallaar Pakai Kolalir Paththatuththa Theemaiththe
Nallaar Thotarkai Vital.

Explanations
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