सत्संग- लाभ
Verses
ज्ञानवृद्ध जो बन गये, धर्म-सूक्ष्म को जान ।
मैत्री उनकी, ढ़ंग से, पा लो महत्व जान ॥
Tamil Transliteration
Aranarindhu Mooththa Arivutaiyaar Kenmai
Thiranarindhu Therndhu Kolal.
आगत दुःख निवार कर, भावी दुःख से त्राण ।
करते जो, अपना उन्हें, करके आदर-मान ॥
Tamil Transliteration
Utranoi Neekki Uraaamai Murkaakkum
Petriyaarp Penik Kolal.
दुर्लभ सब में है यही, दुर्लभ भाग्य महान ।
स्वजन बनाना मान से, जो हैं पुरुष महान ॥
Tamil Transliteration
Ariyavatru Lellaam Aridhe Periyaaraip
Penith Thamaraak Kolal.
करना ऐसा आचरण, जिससे पुरुष महान ।
बन जावें आत्मीय जन, उत्तम बल यह जान ॥
Tamil Transliteration
Thammir Periyaar Thamaraa Ozhukudhal
Vanmaiyu Lellaan Thalai.
आँख बना कर सचिव को, ढोता शासन-भार ।
सो नृप चुन ले सचिव को, करके सोच विचार ॥
Tamil Transliteration
Soozhvaarkan Naaka Ozhukalaan Mannavan
Soozhvaaraik Soozhndhu Kolal.
योग्य जनों का बन्धु बन, करता जो व्यवहार ।
उसका कर सकते नहीं, शत्रु लोग अपकार ॥
Tamil Transliteration
Thakkaa Rinaththanaaith Thaanozhuka Vallaanaich
Chetraar Seyakkitandha Thil.
दोष देख कर डाँटने जब हैं मित्र सुयोग्य ।
तब नृप का करने अहित, कौन शत्रु है योग्य ॥
Tamil Transliteration
Itikkun Thunaiyaarai Yaalvarai Yaare
Ketukkun Thakaimai Yavar.
डांट-डपटते मित्र की, रक्षा बिन नरकंत ।
शत्रु बिना भी हानिकर, पा जाता है अंत ॥
Tamil Transliteration
Itippaarai Illaadha Emaraa Mannan
Ketuppaa Rilaanung Ketum.
बिना मूलधन वणिक जन, पावेंगे नहिं लाभ ।
सहचर-आश्रय रहित नृप, करें न स्थिरता लाभ ॥
Tamil Transliteration
Mudhalilaarkku Oodhiya Millai Madhalaiyaanjjch
Aarpilaark Killai Nilai.
बहुत जनों की शत्रुता, करने में जो हानि ।
उससे बढ़ सत्संग को, तजने में है हानि ॥
Tamil Transliteration
Pallaar Pakai Kolalir Paththatuththa Theemaiththe
Nallaar Thotarkai Vital.