अध्याय 121 to 133
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No | Sanskrit | Tamil Transliteration |
१ | वियोगसहनम् | Pirivaatraamai |
२ | वियोगदु:खानुभव: | Patarmelindhirangal |
३ | नायकदिदृक्षामृलकखेद: | Kanvidhuppazhidhal |
४ | वैवर्ण्यमूलकव्यसनम् | Pasapparuparuvaral |
५ | वियोगव्यसनाधिक्यम् | Thanippatarmikudhi |
६ | अनुभृतसुखं स्मृत्वा रोदनम् | Ninaindhavarpulampal |
७ | दृष्टस्वप्नकथनम् | Kanavunilaiyuraiththal |
८ | सायङ्कालदर्शनेन खेद: | Pozhudhukantirangal |
९ | अवयवसौन्दर्यहानि: | Uruppunalanazhidhal |
१० | मनस्येव कथनम् | Nenjotukilaththal |
११ | धैर्यहानि: | Niraiyazhidhal |
१२ | कामुकयोरन्योन्यव्यसनम् | Avarvayinvidhumpal |
१३ | अभिज्ञाननिवेदनम् | Kuripparivuruththal |
१४ | संभोगत्वरा | Punarchchividhumpal |
१५ | मनसि निर्वेद: | Nenjotupulaththal |
१६ | विप्रलम्भ: | Pulavi |
१७ | विप्रलम्भरहस्यम् | Pulavi Nunukkam |
१८ | विप्रलम्भसुखम् | Ootaluvakai |