श्लोक - १२४८
वियोगसमये नाथो नाकरोत् प्रीतिमित्यत्: ।
खिन्नस्तमनुसृत्य त्वं चित्त ! यासि कुतो भ्रमात् ॥
Tamil Transliteration
Parindhavar Nalkaarendru Engip Pirindhavar
Pinselvaai Pedhaien Nenju.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | मनस्येव कथनम् |