श्लोक - १२१५
जाग्रद्दशायां यद् दृष्टं तदासीत् क्षणिकं सुखम् ।
अद्य स्वप्नगतानन्दो य: सोऽपि क्षणिकोऽभवत् ॥
Tamil Transliteration
Nanavinaal Kantadhooum Aange Kanavundhaan
Kanta Pozhudhe Inidhu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | दृष्टस्वप्नकथनम् |