श्लोक - ९९
मधुरोक्त्या महत् सौख्यं भवेदिति विदन्नपि ।
दु:खदं कठिनं वाक्यं कुतो वा वक्ति मानव: ॥
Tamil Transliteration
Insol Inidheendral Kaanpaan Evankolo
Vansol Vazhangu Vadhu?.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | मधुरालाप: |