श्लोक - १००
कथनं कठिनोक्तीनां मधुरे वचसि स्थिते ।
मधुरं फलमुत्सृज्य कषायस्याशनं भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Iniya Ulavaaka Innaadha Kooral
Kaniiruppak Kaaikavarn Thatru.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | मधुरालाप: |