श्लोक - ९९२
प्रेम्णा प्रवर्तनं शुद्धविख्यातकुलजन्म च ।
द्वयमेतन्महत्वाख्यगुणं यच्छति कस्यचित् ॥
Tamil Transliteration
Anputaimai Aandra Kutippiraththal Ivvirantum
Panputaimai Ennum Vazhakku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | अनुसृत्य प्रवर्तनम् |