श्लोक - ९४
सर्वत्र मधुरं वाक्यं प्रयुक्तं सुखवर्धकम् ।
सर्वदा दु:खजनकं दारिद्य्रमपि नाशयेत् ॥
Tamil Transliteration
Thunpurooum Thuvvaamai Illaakum Yaarmaattum
Inpurooum Inso Lavarkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | मधुरालाप: |