श्लोक - ९३
दृष्ट्वा प्रसन्नमधुरं यद्वै हृदयपूर्वकम् ।
उच्यते सुहितं सत्यं स धर्म: परमो मत: ॥
Tamil Transliteration
Mukaththaan Amarndhuinidhu Nokki Akaththaanaam
Inso Linadhe Aram.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | मधुरालाप: |