श्लोक - ९०५
भार्याभीरुर्महात्मभ्यो बहुभ्यश्च निजेच्छया ।
स तु स्वीयधनं चापि दातुं भीतिमवाप्नुयात् ॥
Tamil Transliteration
Illaalai Anjuvaan Anjumar Regngnaandrum
Nallaarkku Nalla Seyal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | भार्यानुवर्तनम् |