श्लोक - ९०६
देवभॊगमवाप्यापि नायं प्राप्नोति गौरवम् ।
रम्यहस्तयुतां भार्यां दृष्ट्वा य: कातरो भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Imaiyaarin Vaazhinum Paatilare Illaal
Amaiyaardhol Anju Pavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | भार्यानुवर्तनम् |