श्लोक - ७५०
पर्वोक्तगुणयुक्तोऽपिदुर्ग: किं वा करिष्यति ।
युद्दोपायसमर्थानां सान्निध्यं न भवेद्यदि ॥
Tamil Transliteration
Enaimaatchith Thaakiyak Kannum Vinaimaatchi
Illaarkan Illadhu Aran.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 061 to 070 |
chapter | दुर्ग: |