श्लोक - ७३
सर्वत्र प्रियभावेन कुर्वन् जीवनमात्मन: ।
जीवस्य देहसम्बन्धफलं पूर्णमिहाश्नुते ॥
Tamil Transliteration
Anpotu Iyaindha Vazhakkenpa Aaruyirkku
Enpotu Iyaindha Thotarpu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | प्रीति: |