श्लोक - ७३२
ईतिबाधाविरहितं नानावस्तुसमन्वितम् ।
देशान्तरजनश्लाघ्यं देशमाहुर्मनीषिण: ॥
Tamil Transliteration
Perumporulaal Pettakka Thaaki Arungettaal
Aatra Vilaivadhu Naatu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 061 to 070 |
chapter | देश्: |