श्लोक - ६९३
आत्मरक्षणवाञ्छा चेत् राजाप्रीतिं तु मा भज ।
अप्रसन्ने महिपाले न शक्यं तस्य सांत्वनम् ॥
Tamil Transliteration
Potrin Ariyavai Potral Katuththapin
Thetrudhal Yaarkkum Aridhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | राजसेवा |