श्लोक - ६९२
राजवाञ्छितवस्तूनि स्वयं लब्धुमानिच्छते ।
मान्त्रिणे पार्थिवो दद्यादखिलं तेन वाञ्छितम् ॥
Tamil Transliteration
Mannar Vizhaipa Vizhaiyaamai Mannaraal
Manniya Aakkan Tharum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | राजसेवा |