श्लोक - ६६९
अन्ते सुखप्रदं कार्यं कायक्लेशेषु सत्स्वपि ।
अवश्यमेव कर्तव्यं दृढचित्तसमन्वितै: ॥
Tamil Transliteration
Thunpam Uravarinum Seyka Thunivaatri
Inpam Payakkum Vinai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | क्रियादाढर्यम् |