श्लोक - ६७०
दार्ढ्ये स्थितेऽप्यन्यकार्ये स्वीकृते पूतकर्मणि ।
मनोदार्ढ्यविहीनांस्तु मानयन्ति न मानवा: ॥
Tamil Transliteration
Enaiththitpam Ey Thiyak Kannum Vinaiththitpam
Ventaarai Ventaadhu Ulaku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | क्रियादाढर्यम् |