श्लोक - ६५५
पश्चात्तापकरं कार्यं न कुर्वीत कदाचन ।
प्रमादेन कृते चापि पश्चातापमतिं त्यज ॥
Tamil Transliteration
Etrendru Iranguva Seyyarka Seyvaanel
Matranna Seyyaamai Nandru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | क्रियाशुद्धि |