श्लोक - ६५४
प्राप्तोऽपि व्यसने तस्य निर्मूलनकृतेऽपि वा ।
निन्द्यं कार्यं न कुर्वन्ति विशुद्धमतयो जना: ॥
Tamil Transliteration
Itukkan Patinum Ilivandha Seyyaar
Natukkatra Kaatchi Yavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | क्रियाशुद्धि |