श्लोक - ६५३
उपर्युपर्यात्मवृद्धिकांक्षायां यत्नमास्थितै: ।
त्यज्यतां तादृशं कार्यं यद्गौखविधातकम् ॥
Tamil Transliteration
Oodhal Ventum Olimaazhkum Seyvinai
Aaadhum Ennu Mavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | क्रियाशुद्धि |