श्लोक - ५८९
परस्परमसंवेद्यान् त्रयश्चारान् नियोज्य तु ।
त्रिभिरुक्तोऽपि विषय: समश्चेद् गृह्यतामयम् ॥
Tamil Transliteration
Otrer Runaraamai Aalka Utanmoovar
Sotrokka Therap Patum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | चारप्रेषणम् |