श्लोक - ५९०
चाराय देयं सन्मानं राज्ञा गुप्तं न तद् बहि: ।
नो चेद् गुप्तार्थविषय: सर्वैश्च विदितो भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Sirappariya Otrinkan Seyyarka Seyyin
Purappatuththaan Aakum Marai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | चारप्रेषणम् |