श्लोक - ५८८
चारणैकेन कथितमन्यचारेण चेरितम् ।
एकार्थकं यदि भवेत् गृह्यतां तत् त्यजेतरम् ॥
Tamil Transliteration
Otrotrith Thandha Porulaiyum Matrumor
Otrinaal Otrik Kolal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | चारप्रेषणम् |