श्लोक - ५८६
शास्त्रागारादिकं क्षिक्षुवेषो गत्वा विचार्य च ।
ज्ञातोऽपि शत्रुभिर्धीरो य: स्याच्चार: स गण्यते ॥
Tamil Transliteration
Thurandhaar Pativaththa Raaki Irandhaaraaindhu
Enseyinum Sorviladhu Otru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | चारप्रेषणम् |