श्लोक - ५४६
शूलमात्रेण भूपालो जयं युद्धे न विन्दते ।
लभते नीतिदण्डेन जयं, दण्डो ऋजुर्यदि ॥
Tamil Transliteration
Velandru Vendri Tharuvadhu Mannavan
Koladhooung Kotaa Thenin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | नीतिपरिपालनम् |