श्लोक - ५०६
न कुर्यात्प्रत्ययं बन्धुविंहीनेषु जनेष्विह ।
बन्धुबन्धविहीनत्वात् न निन्दां गणयन्ति ते ॥
Tamil Transliteration
Atraaraith Therudhal Ompuka Matravar
Patrilar Naanaar Pazhi.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | विभृश्यविश्वसनम् |