श्लोक - ५०५
महत्वं कस्यचित् पुंसो नीचत्वमपरस्य च ।
ज्ञातुं तयोर्वृत्तिरेव निकषोपलतां व्रजेत् ॥
Tamil Transliteration
Perumaikkum Enaich Chirumaikkum Thaththam
Karumame Kattalaik Kal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | विभृश्यविश्वसनम् |