श्लोक - ५०४
दोषं गुणं वा कस्मिश्चित् स्थितं विज्ञाय तत्त्वत: ।
ग्राह्य: स्याद् गुणभूयिष्ठ: त्याज्यो विविधदोषभाक् ॥
Tamil Transliteration
Kunamnaatik Kutramum Naati Avatrul
Mikainaati Mikka Kolal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | विभृश्यविश्वसनम् |