श्लोक - ५००
शूलहस्तमहावीरहन्तृदन्तयुतोऽपि सन् ।
पङ्कं विशन् मदगज: सृगालेनापि हन्यते ॥
Tamil Transliteration
Kaalaazh Kalaril Nariyatum Kannanjaa
Velaal Mukaththa Kaliru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 50 |