श्लोक - ४४६
ज्ञानिनां वचनं श्रुत्वा स्वबुद्धया तदिमृश्य च ।
पालयन् पृथिवीपाल: शत्रुभिर्नैव बाध्यते ॥
Tamil Transliteration
Thakkaa Rinaththanaaith Thaanozhuka Vallaanaich
Chetraar Seyakkitandha Thil.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 45 |