श्लोक - ४४५
विमृश्य सचिवो ग्राह्यो नेत्रतुल्यो नृपेण तु ।
यतोऽमात्यो राज्यभारं वहन् राज्ञ: सहायकृत् ॥
Tamil Transliteration
Soozhvaarkan Naaka Ozhukalaan Mannavan
Soozhvaaraik Soozhndhu Kolal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 45 |