श्लोक - ४४४
आत्मनोऽपि वरिष्ठानां महतां पथि वर्तनम् ।
महद् बलं भवेद् राज्ञां चतुरङ्गबलै: किमु ॥
Tamil Transliteration
Thammir Periyaar Thamaraa Ozhukudhal
Vanmaiyu Lellaan Thalai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 45 |