श्लोक - ४४२
प्राप्तं दु:खं निराकृत्य भाविदु:खनिवारणे ।
जगरूकेण विदुषा स्नेहं कुर्याच्च सेवया ॥
Tamil Transliteration
Utranoi Neekki Uraaamai Murkaakkum
Petriyaarp Penik Kolal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 45 |