श्लोक - ४४१
वयोवृद्धैर्धर्मविद्भि: बुद्धिमद्भिर्महात्माभि: ।
कुर्यान्मैत्रीं महीपालो विमृश्य बहुधा बहु ॥
Tamil Transliteration
Aranarindhu Mooththa Arivutaiyaar Kenmai
Thiranarindhu Therndhu Kolal.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 45 |