श्लोक - ४२४
स्पष्टार्थकं सुविज्ञेयं ज्ञानी वाक्यमुदीरयेत् ।
श्रुत्वाऽन्यवचनं क्लिष्टमपि विद्याद्विमृश्य च ॥
Tamil Transliteration
Enporula Vaakach Chelachchollith Thaanpirarvaai
Nunporul Kaanpa Tharivu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 43 |