श्लोक - ४२३
बहुभ्यो विषयान् श्रुत्वा तेषु य: क्षेमदायक: ।
विमृश्य तस्य निश्कर्षे साधनं ज्ञानमुच्यते ॥
Tamil Transliteration
Epporul Yaaryaarvaaik Ketpinum Apporul
Meypporul Kaanpa Tharivu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 43 |