श्लोक - ४२०
श्रोत्रैर्नवरसास्वादमकृत्वा जिह्वया परम् ।
षड्सास्वादचतुरा जीवन्तोऽपि मृतै: समा: ॥
Tamil Transliteration
Seviyir Suvaiyunaraa Vaayunarvin Maakkal
Aviyinum Vaazhinum En?.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 42 |