श्लोक - ४१५
वचांस्याचारशीलानां साह्यदानि सदा नृणाम् ।
पङ्कदेशे विचरतो हस्तालम्बनदण्डवत् ॥
Tamil Transliteration
Izhukkal Utaiyuzhi Ootrukkol Atre
Ozhukka Mutaiyaarvaaich Chol.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 42 |