श्लोक - ४०७
सूक्ष्मशास्त्रार्थविज्ञानमन्तरा देहपुष्टित: ।
किं वा प्रयोजनं नृणां मृण्मयी प्रतिमैव ते ॥
Tamil Transliteration
Nunmaan Nuzhaipulam Illaan Ezhilnalam
Manmaan Punaipaavai Yatru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 41 |