श्लोक - ३६२
लभ्यतां जन्मराहित्यं लब्धव्यं किञ्चिदस्ति चेत्।
तदपि प्राप्यते सर्व वस्तुनैराश्य बुद्धित:॥
Tamil Transliteration
Ventungaal Ventum Piravaamai Matradhu
Ventaamai Venta Varum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | निराशा |