श्लोक - ३६३
निराशासदृशं श्रेष्ठं वित्तं नास्रि जगत्तले।
लोकान्तरेऽपि तत्तुल्यं वस्तु लब्धुं न शक्र्यते॥
Tamil Transliteration
Ventaamai Anna Vizhuchchelvam Eentillai
Aantum Aqdhoppadhu Il.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | निराशा |