श्लोक - ३५४
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्य: नियम्य मनसो वशे।
स्थापनेनापि किं कार्ये तत्त्वज्ञानं न चेद्भवेत्॥
Tamil Transliteration
Aiyunarvu Eydhiyak Kannum Payamindre
Meyyunarvu Illaa Thavarkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | तत्वज्ञानम् |